केल एक हरी पत्तेदार सब्जी है और इसका वनस्पतिक नाम ब्रैसिका ओलेरासिया है। कुछ लोग इसे 'करम साग' भी कहते हैं। यह चार प्रकार (कर्ली, लैकिनाटो, रेडबोर और रशियन केल) की होती है।
केल में मौजूद क्लोरोफिल शरीर को हेट्रोसायक्लिक एमाइन नामक यौगिकों को अवशोषित करने से रोकने में मदद करता है। हेट्रोसायक्लिक कैंसर से जुड़े रसायन हैं जो शरीर में इस गंभीर बीमारी को उत्पन्न करते हैं। इसके अतिरिक्त, केल में एंटी-कैंसर गुण भी होते हैं, जो कैंसर को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं।
केल में पित्त एसिड सिक्वेस्ट्रेंट नामक यौगिक होते हैं जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें विटामिन-C और विटामिन-K समेत ओमेगा-3 फैटी एसिड भी शामिल होता है। ये सभी पोषक तत्व हृदय को स्वस्थ रखने में कारगर होते हैं।
केल में कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं जो पाचन क्रिया में सुधार के लिए बहुत लाभप्रद हैं। बता दें कि एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर में गैस्ट्रिक एंजाइम के उत्पादन को सुविधाजनक बनाकर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने का काम करते हैं।
केल को नियासिन और विटामिन-E जैसे पोषक गुणों का अच्छा स्रोत माना जाता है। ये दोनों गुण मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। यही नहीं, ये गुण अल्जाइमर (याददाश्त संबंधित रोग) और उम्र के साथ दिखाई देने वाली मानसिक कमजोरी को भी कम करने में सक्षम है।
कुछ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वह मौसम में थोड़ा सा बदलाव होते ही कई बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में केल का इस्तेमाल उन लोगों के बेहतर साबित हो सकता है। इसका कारण यह है कि केल में सल्फोराफेन पाया जाता है और यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती देने का काम करता है।