शतावरी में विटामिन-C की अधिक मात्रा मौजूद होती है। विटामिन-C रोग निरोधक के रूप में कार्य करके सर्दी और खांसी जैसी समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद होते हैं, जो गले की खराश और ब्रोंकाइटिस के इलाज में मदद करता है।
शतावरी को इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है। यह फाइबर, प्रोटीन, विटामिन-C, विटामिन-K, विटामिन-E, फोलेट और कार्ब्स से युक्त होती है। एक अध्ययन के अनुसार, जिन जानवरों का शतावरी की जड़ के अर्क से इलाज किया गया था, उनमें एंटी-बॉडी बढ़ी थी।
किडनी स्टोन एक कष्टदायक स्थिति है। ऐसे में इसके इलाज के लिए शतावरी का इस्तेमाल करना लाभदायक साबित हो सकता है। 2005 में चूहों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला कि शतावरी की जड़ के अर्क में मौजूद ऑक्सालेट स्टोन के निर्माण को रोकने में मदद करता है।
अधिकांश लोग एंटी-डिप्रेशन की दवा लेने से डरते हैं। हालांकि, शतावरी का इस्तेमाल ऐसी स्थितियों से निपटने में मदद कर सकता है। एक अध्ययन से पता चला है कि यह जड़ी बूटी मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करती है, जिससे डिप्रेशन धीरे-धीरे कम होने लगता है।
शतावरी में एंटी-डायबिटीक प्रभाव मौजूद होता है, जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा शतावरी में मौजूद एंटी-हाइपरग्लिसेमिक गुण भी मधुमेह की समस्या से बचाव करने और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।