इस बजट को साल 1973 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने पेश किया था। इस बजट में उन्होंने ने 550 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया था और कोयले की खदानों के राष्ट्रीयकरण की बात कही थी। इस फैसले से कोयले के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा था।
इस बजट को साल 1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पेश किया था। इस बजट में देश के इकोनॉमिक रिफॉर्म का खाका तैयार किया गया था और टैक्स प्रावधानों को तीन अलग-अलग स्लैब में बांट दिया गया था, जिससे टैक्स कलेक्शन में भारी बढ़ोतरी हुई थी।
इस बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई, 1991 में पेश किया था। इस बजट ने देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदली थी, जिससे उदारीकरण के रास्ते खुले थे और लाइसेंस परमिट का दौर खत्म हुआ था।
इस बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 29 फरवरी, 2000 को पेश किया था। इसमें सॉफ्टवेयर से निर्यात होने वाली आय को टैक्स फ्री कर दिया था और सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई थी।