भंसाली अपनी फिल्मों के बड़े और सुंदर सेट के लिए जाने जाते हैं। शूटिंग शुरू करने से पहले वह सेट पर खूब प्रयोग करते हैं। इनके अलग-अलग मॉडल तैयार होते हैं और फिर किसी एक को चुना जाता है।
भंसाली कलर थ्योरी के साथ बेहतरीन काम करते हैं। अगर आप भंसाली की फिल्मों पर गौर करें तो वह लाल रंग का मुख्य रूप से इस्तेमाल करते हैं। फिल्म के बाकी रंग इसके ईर्द-गिर्द चुने जाते हैं।
भंसाली की फिल्मों में जितना भव्य सेट होता है, उतने ही दमदार उनके संवाद होते हैं। 'देवदास' का 'पारो ने कहा शराब छोड़ दो', 'बाजीराव-मस्तानी' का 'चीते की चाल, बाज की नजर', 'पद्मावत' का 'राजपूती कंगन' जैसे संवाद ने दर्शकों पर अलग छाप छोड़ी
भंसाली की फिल्मों का क्लाइमैक्स भव्य और भाव-विभोर करने वाला होता है। भंसाली सिनेमेटोग्राफी, संगीत और खास रंगों से फिल्मों के क्लाइमैक्स को अलग स्तर पर ले जाते हैं।
भंसाली की फिल्मों में वेश्वाओं का अलग आकर्षण देखने को मिलता है। गंगूबाई काठियावाड़ी' सेक्स वर्कर गंगूबाई पर आधारित थी। 'देवदास' में उन्होंने चंद्रमुखी के किरदार से प्यार का एक अलग पक्ष पर्दे पर उतारा। 'हीरामंडी' भी वेश्याओं की दुनिया पर आधारित है।