बीते दिनों गोवा में 53वें इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) का आयोजन हुआ था। यहां पर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की स्क्रीनिंग की गई थी। फेस्टिवल के जूरी अध्यक्ष नदव फैलिड ने फिल्म को एक "प्रोपोगैंडा" फिल्म बताया था। जिसको लेकर विवाद हुआ।
नदव ने कहा कि उन्होंने जो कहा वह कश्मीर की घटना के बारे में नहीं था। कश्मीर पर बात करने वाले वह कोई नहीं होते हैं। उन्होंने कहा, "फिल्म के तथ्यों पर मैंने कभी शक नहीं किया। कश्मीर के पीड़ितों के लिए मेरे मन में पूरा सम्मान और संवेदनाएं हैं।"
नदव ने कहा कि उन्होंने अपने संबोधन में फिल्म की आलोचना की थी। फिल्म कलात्मक दृष्टि से उचित नहीं थी। उन्होंने जो कहा जूरी अध्यक्ष के तौर पर कहा। यह उनका कर्तव्य था। उनका काम सच बताना था ना कि सिर्फ फिल्मों की तारीफ करना।
बकौल नदव यह एक गंभीर फिल्म है जिसमें एक त्रासदी को बेहद साधारण तरीके से दिखा दिया गया। सिनेमाई तौर पर यह एक लोकलुभावन फिल्म है।
नदव ने कहा कि वह किसी का अपमान नहीं करना चाहते थे। उनका इरादा पीड़ितों का अपमान करने का नहीं था। अगर किसी ने भी उनके बयानों को इस तरह समझा है तो वह उनसे माफी मांगते हैं।
पीड़ितों से माफी मांगने के साथ नदव फिल्म के बारे में अपने बयान पर कायम रहे। वह अब भी मानते हैं कि 'द कश्मीर फाइल्स' एक प्रोपोगैंडा फिल्म है जिसे इस फिल्म फेस्टिवल में दिखाना उचित नहीं था।