समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में गुप्तेश्वर ने कहा, "मुंबई पुलिस ने इसे सूसाइड बताकर मामले को करीब-करीब बंद कर दिया था। मामला तब सुर्खियों में आया जब मैंने यहां मुकदमा दर्ज किया।"
गुप्तेश्वर का आरोप है कि मुंबई पुलिस का व्यवहार पेशेवर नहीं था जिसके बाद उन्हें दाल में कुछ काला होने का शक हुआ। उन्हें लगा कि पुलिस कुछ छिपाना चाहती है।
उन्होंने कहा, "अगर उनका इरादा गलत नहीं था तो हमारी टीम के साथ सहयोग करते, कह देते कि आपको अधिकार नहीं है तो हम अदालत की इजाजत लेकर जाते।"
कुछ दिन पहले ही सुशांत के पोस्टमार्टम के वक्त मौजूद एक स्टाफ रूपकुमार शाह ने दावा किया है कि सुशांत के शव पर चोट के निशान थे।
14 जून, 2020 को सुशांत का शव उनके घर में फांसी पर लटकता हुई मिला था। देशभर में हंगामे के बाद मामले की जांच मुंबई पुलिस से लेकर CBI को दे दी गई थी, लेकिन CBI अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है।