ऑटोमोटिव फेसलिफ्ट का मतलब एक पुरानी कार को नए और बेहतर डिजाइन के साथ अपडेट किया जान है। इन्हें बेस मॉडल में कुछ बदलाव करके पेश किया जाता है। ये बदलाव आमतौर पर बंपर, लाइट और ग्रिल में किए जाते हैं।
दुनिया की पहली फेसलिफ्ट कार 1927 में आई थी, जिसे 1908 में बनी कार के फेसलिफ्ट के रूप में लाया गया था। इसके बाद अन्य अमेरिकी कार निर्माताओं ने भी इसका अनुसरण किया और 1950 के दशक तक ज्यादातर कंपनियां अपनी गाड़ियों के फेसलिफ्ट मॉडल को पेश करने लगी।
कोई भी कार अधिकतम 10 से 12 साल तक बाजार में अपनी पकड़ बनाए रख सकती है। इसके बाद नई कारें नए फीचर्स के साथ इसकी जगह ले लेती हैं। इसलिए निर्माता अपने चर्चित मॉडलों के डिजाइन में कुछ छोटे-मोटे बदलाव करके उन्हें फिर से पेश करते हैं।
फेसलिफ्ट कार अपने अंदर और बाहर अधिक नई सुविधाओं के साथ आती है और आमतौर पर इन्हें एक नया स्टाइलिंग अपडेट मिलता है। दूसरी तरफ रिडिजाइन में कार को एक तरह से फिर से बनाया जाता है। इनमें नया इंटीरियर और एक नया इंजन शामिल किया जाता है।